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क्या जानते हैं आप, आखिर क्यों मनाते हैं हम साल में 2 बार नवरात्रि?

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क्या जानते हैं आप, आखिर क्यों मनाते हैं हम साल में 2 बार नवरात्रि?

“आए नवरात्रे, आए नवरात्रे माँ दुर्गा को मना लो,” ये फेमस गाना अब अगले नौ दिन सबके घरो में गाया जायेगा। क्योंकि नवरात्रे कल से शुरू होने वाले हैं, और सब लोग इनकी तैयारियों में लग गए हैं।

नवरात्रि को दुर्गा पूजा भी कहा जाता है, इसे माँ दुर्गा के “महीसासुर ” को मारने और धर्म की अधर्म पर जीत के कारण मनाया जाता है। कहा जाता है, कि नौ दिन तक देवी माँ और महिसासुर के बीच युद्ध हुआ और अंत में महिसासुर मारा गया। ये भी कहा जा सकता है, कि नवरात्रि का हर दिन अच्छाई की बुराई पर जीत को दर्शाता है।navratre

हम सभी हर साल नवरात्रि बड़े धूम धाम से मनाते है, पर शायद ही किसी को नवरात्रि के बारे में एक ख़ास बात पता होगी, कि ये साल में पांच बार आते हैं।  जी, हाँ पांच बार आते हैं और इनका आने का टाइम अलग-अलग है।  जो सबसे ज़्यादा लोगों में  जाते मनाए है, वो है शारद नवरात्रि और वसंत नवरात्रि।

साल में दो बार नवरात्रि मनाने के कारण :

साल में दो बार नवरात्रि मनाने के कारण हमारी प्रकृति, हमारी स्प्रिटुअल भावनाओ से और माइथॉलोजि से जुड़े हुए हैं और जो की इस प्रकार से हैं :

मौसम का बदलना :

जैसे की आप सब जानते हैं, कि दोनों ही नवरात्रि उस वक़्त आते हैं, जब मौसम चेंज होता है। जैसे वसंत नवरात्रि गर्मी के शुरू होने पर और शरद नवरात्रि ठण्ड के शुरू होने पर आते हैं। ये चेंजेस हमारी नेचर की वज़ह से होते हैं और नेचर को हम माँ शक्ति का रूप मानते हैं। ये भी कारण है की हम नवरात्रि साल में दो बार मनाते हैं।

भगवान राम की पूजा :

कहा जाता है कि पहले समय में वसंत नवरात्रि ज़्यादा फेमस थे। जब भगवान राम को रावण से युद्ध करने जाना था वो माता दुर्गा का आशीर्वाद लेना चाहते थे। इसके लिए वो और 6 महीने का इंतज़ार नहीं कर सकते थे, इसीलिए उन्होंने पहले ही माँ दुर्गा की पूजा कर दी और तब से शरद नवरात्रि की शुरुआत हो गई।

रात और दिन की लेंथ :

दोनों ही नवरात्रि के दौरान रात और दिन की लम्बाई लगभग एक जैसी होती है, ये भी नवरात्रि साल में दो बार मनाने के कारणों में से एक है।

नौ देवियाँ जिनकी पूजा नवरात्रि में की जाती है:

कहा जाता है की नवरात्रि में हम तीन देवियों महालक्ष्मी, सरस्वती, और दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं, उनके नाम और उनकी पूजा मंत्र इस तरह से हैं :

शैलपुत्री  

इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

ब्रह्मचारिणी

इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

चंद्रघंटा

इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।

पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

कूष्माण्डा

इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

स्कंदमाता

इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

कात्यायनी

इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।

कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ।
नन्द गोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः ॥

कालरात्रि

इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

महागौरी

इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।

श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा॥

सिद्धिदात्री

इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।

सिद्धगधर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

नवरात्रे के ये नौ दिन हमारे हर तरह के दुखो को दूर करते हैं और साथ ही हमारे अंदर एक पॉजिटिव एनर्जी का संचार करते हैं।

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